श्री गणपतीची आरती
शेंदूर लाल चढायो अच्छो गज मुखको | दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहरको | हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको | महिमा कहे न जाये लागत हुं पदको || १ ||
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता हो स्वामी सुख दाता | धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता || धृ ||
अष्टौ सिद्धी दासी संकटको बैरी | विघ्नविनाशक मंगल मुरत अधिकारी | कोटीसुरजप्रकाश ऐसी छबी तेरी | गंडस्थलमदमस्तक झुले शशिबिहारी || जय || २ ||
भावभगतसे कोई शरणागत आवे | संतत संपत सबही भरपूर पावे | ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे | गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे | जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता हो स्वामी सुख दाता ||धन्य || ३ ||
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